उज्जैन। वर्तमान सरकार ग्रामीण क्षेत्र में वर्षों से लम्बित रहने वाले राजस्व प्रकरणों जिनमें अविवादित, विवादित बंटवारे, नामांतरण, सीमांकन आदि के मामले शामिल होते हैं, के शीघ्र निराकरण के लिये लगातार राजस्व अधिकारियों को निर्देशित कर रही है। ग्रामीण क्षेत्र में ज्यादातर किसान इन्हीं समस्याओं से अधिक परेशान होते हैं। विगत कुछ वर्षों से किसानों की खसरा बी-1 की नकल, फौती नामांतरण, बंटवारे आदि के काम भी समय पर नहीं हो पा रहे थे, इन्हीं सब मामलों के मद्देनजर प्रदेश के साथ-साथ उज्जैन जिले में राजस्व मामलों के त्वरित निपटारे के लिये कलेक्टर श्री शशांक मिश्र द्वारा समय-समय पर राजस्व अधिकारियों की बैठक लेकर, विशेष ग्राम सभाओं का आयोजन करके मौके पर राजस्व के लम्बित प्रकरणों की पड़ताल की गई एवं उनके त्वरित निराकरण के निर्देश दिये गये।
कलेक्टर के राजस्व के मामलों को संवेदनशीलता के साथ त्वरित गति से निपटाने के निर्देशों के फलस्वरूप उज्जैन जिले में दिसम्बर माह तक कुल 38193 प्रकरणों का निराकरण किया गया। यह निराकरण कुल पंजीकृत 44488 प्रकरणों का 85.85 प्रतिशत है। वहीं इसके उलट वर्ष 2018 में 31 दिसम्बर 2018 तक कुल पंजीकृत प्रकरणों की संख्या मात्र 8022 थी और इनमें से निराकरण किये जाने वाले प्रकरणों की संख्या 4573 थी, जो कि दर्ज प्रकरणों 42.99 प्रतिशत ही है। कलेक्टर की संवेदनशीलता एवं निर्देशों का नतीजा है कि एक वर्ष में कुल पंजीकृत प्रकरणों की संख्या में छह गुना इजाफा हुआ है। वर्ष 2018 में जहां 8022 प्रकरण पंजीकृत हुए थे, वहीं इस वर्ष 44488 प्रकरण पंजीबद्ध हुए हैं। उल्लेखनीय है कि कलेकटर जहां-जहां भी विशेष ग्राम सभाओं में जाते हैं, ग्रामीणों से तहसीलदार, एसडीएम एवं पटवारी के समक्ष प्रश्न-उत्तर करते हैं कि उनके नामांतरण के प्रकरण लम्बित तो नहीं हैं, बंटवारा हुआ है या नहीं या फिर सीमांकन को लेकर कोई असंतोष तो नहीं है। कलेक्टर की मौजूदगी में ग्रामीण भी अपनी शिकायत दर्ज कराने में संकोच नहीं करते हैं और कई बार खुलेआम पटवारियों की शिकायत कर देते हैं। कई ग्राम सभाओं में कलेक्टर ने ग्रामीणों की शिकायत पर पटवारियों की वेतन वृद्धि रोकने एवं स्थानान्तरण के निर्देश दिये हैं। इसके चलते राजस्व अमले पर समय पर काम करने का दबाव बना है और वह अमला सक्रियता से कार्य कर रहा है। विगत एक वर्ष में राजस्व अधिकारियों की कार्यकुशलता में वृद्धि हुई है। यही वजह है कि इस वर्ष के दिसम्बर अन्त तक दो से पांच वर्ष के बीच के लम्बित राजस्व प्रकरणों की संख्या मात्र तीन है और पांच वर्ष से अधिक कोई भी प्रकरण लम्बित नहीं है।