मुख्यमंत्री ने कहा है कि नर्मदा वॉटर डिस्प्यूट ट्रिब्यूनल द्वारा मध्य प्रदेश को 18.25 एमएएफ जल आवंटित किया गया, इसमें से पूर्ण परियोजनाओं, निर्माणाधीन परियोजनाओं, निर्माण के लिए अनुबंधित परियोजनाओं, जल संसाधन विभाग एवं लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा कुल 13.04 एमएएफ जल का ही उपयोग हो रहा है, शेष बचे 5.21 एमएएफ जल का उपयोग करने के लिए नवीन परियोजनाओं पर कार्यवाही की जाएगी। हमें नर्मदा जल का पूरा उपयोग करना है तथा प्रदेश की सिंचाई क्षमता को अधिक से अधिक बढ़ाना है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान आज मंत्रालय में नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण एवं जल संसाधन विभाग के कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। बैठक में जल संसाधन मंत्री श्री Tulsi Silawat, मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस, अपर मुख्य सचिव जल संसाधन श्री आई.सी.पी. केशरी उपस्थित थे।
समय से पूरे हो कार्य
बैठक में नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण द्वारा निर्माणाधीन परियोजनाओं इंदिरा सागर परियोजना नहर, ओम्कारेश्वर परियोजना नहर, रानी अवंती बाई लोधी सागर परियोजना बरगी व प्रवर्तन परियोजना तथा लोअर गोई परियोजना की समीक्षा के दौरान निर्देश दिए कि ये परियोजनाएं समय से पूरी की जाएं। इसके लिए संबंधित एजेंसियों को बुलाकर उनसे बातचीत की जाए।
बरसात से पूर्व पूर्ण करें कार्य
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निर्देश दिए कि जो सिंचाई परियोजनाएं पूर्णता के निकट हैं उनके कार्य बरसात से पूर्व पूर्ण करने के प्रयास किए जाएं। इनमें नर्मदा मालवा गंभीर लिंक परियोजना, उज्जैन देवास उज्जैनी पाइपलाइन तथा अपर वेदा आरबीसी के कार्य पूर्णता की ओर है।
33लाख हेक्टर से 50 लाख हेक्टर करनी है सिंचाई क्षमता
जल संसाधन विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बताया कि हमें अपनी सिंचाई क्षमता जो कि वर्तमान में 33 लाख 77 हज़ार हेक्टेयर है, को आगामी वर्षों में 2024 -25 तक 50 लाख 74 हज़ार हेक्टेयर करना है। वर्ष 2020 -21 में इसे 1.94 लाख हेक्टेयर, 21 -22 में 1.86 लाख हेक्टेयर, 22 -23 में 2.74 लाख हेक्टेयर, 23-24 में 5.76 लाख हेक्टेयर और 24 -25 में 4.66 लाख हेक्टेयर बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है।
उत्तर प्रदेश की अव्यावहारिक मांग
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रस्तावित केन बेतवा लिंक परियोजना के संबंध में उत्तरप्रदेश सरकार की मांग व्यवहारिक नहीं है। इस परियोजना के अंतर्गत मध्यप्रदेश के जंगल एवं गांव अधिक संख्या में डूब में आ रहे हैं, परंतु उत्तरप्रदेश अधिक जल चाहता है। इसमें मध्यप्रदेश को न्याय दिलवाएंगे। यदि सहमति नहीं बनती है तो छोटे-छोटे प्रोजेक्ट बनाकर कार्य करेंगे।
जहां डैम बन गए, नहर का कार्य करवाएं
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निर्देश दिए कि जिन परियोजनाओं के अंतर्गत डैम निर्माण का कार्य पूरा हो गया है, वहां नहर के निर्माण का कार्य शीघ्र प्रारंभ कराया जाए, जिससे डैम का लाभ सिंचाई के लिए किसानों को मिल सके।
जल संसाधन व नर्मदा घाटी विभाग समन्वय से कार्य करें
जल संसाधन मंत्री श्री तुलसी सिलावट ने कहा कि जल संसाधन विभाग एवं नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण दोनों का लक्ष्य एक ही है कि हम किसानों को सिंचाई के लिए अधिक से अधिक जल उपलब्ध करवा सकें। जल संसाधन विभाग को बजट कम प्राप्त होता है। जलसंधारण विभाग कार्यों को तीव्र गति से पूर्ण करता है। जल संसाधन विभाग व नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण समन्वय से कार्य करें तथा नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के कुछ कार्यों को जल संसाधन विभाग के माध्यम से कराया जाए।
लॉक डाउन में 186 कार्य चालू
अपर मुख्य सचिव श्री आई.सी.पी. केशरी ने बताया कि लॉक डाउन के दौरान जल संसाधन विभाग द्वारा विभिन्न 186 कार्य कराए जा रहे हैं। इन कार्यों की लागत 23 हजार 339 करोड रुपए है और इनमें 7879 मजदूरों को कार्य दिया गया है।